बिहार विधानसभा चुनाव 2025 – टिकट वितरण की राजनीति और संभावित परिणाम

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बिहार विधानसभा चुनाव 2025 – टिकट वितरण की राजनीति और संभावित परिणाम

पटना (बिहार): बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारी जोरों पर है, और राजनीतिक दलों के बीच टिकट वितरण को लेकर मंथन जारी है। इस चुनाव में कुल 243 सीटों के लिए मतदान होगा, जो 6 और 11 नवंबर 2025 को दो चरणों में संपन्न होगा, और परिणाम 14 नवंबर को घोषित किए जाएंगे ।
1. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA): भाजपा और जदयू की रणनीति

भा.ज.पा. ने 71 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की है, जिसमें 11 मौजूदा विधायकों को टिकट नहीं दिया गया है। इसमें उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय और सांसद रामकृपाल यादव जैसे वरिष्ठ नेता शामिल हैं । भा.ज.पा. ने 50% उम्मीदवारों को पिछड़ी जातियों, दलितों और अन्य पिछड़े वर्गों से चुना है, जिसमें 17 ओबीसी, 11 ईबीसी और 6 एससी/एसटी उम्मीदवार शामिल हैं।
जदयू ने 57 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की है, जिसमें 18 मौजूदा विधायक फिर से मैदान में हैं। पार्टी ने 5 सीटों पर चिराग पासवान के दावे को चुनौती दी है। इसमें 10 एससी उम्मीदवार और 4 महिलाएं शामिल हैं ।
हालांकि, जदयू और भाजपा के बीच सीट बंटवारे को लेकर कुछ मतभेद सामने आए हैं, लेकिन दोनों दलों का दावा है कि गठबंधन मजबूत है और चुनाव में एकजुट होकर उतरेंगे ।2. महागठबंधन (INDIA): कांग्रेस और आरजेडी की स्थिति

कांग्रेस ने 243 सीटों के लिए उम्मीदवारों की सूची तैयार की है, लेकिन सीट बंटवारे को लेकर आरजेडी के साथ बातचीत जारी है। कांग्रेस के बिहार अध्यक्ष राजेश राम ने कहा है कि पार्टी ने ‘गुणवत्ता वाली सीटों’ के लिए उम्मीदवारों का चयन किया है ।
आरजेडी और कांग्रेस के बीच सीट बंटवारे को लेकर कुछ मतभेद सामने आए हैं, लेकिन दोनों दलों का दावा है कि बातचीत जारी है और जल्द ही समझौता हो जाएगा।3. जन सुराज पार्टी (JSP): मनीष कश्यप की एंट्री

यूट्यूबर मनीष कश्यप ने जन सुराज पार्टी में शामिल होने की घोषणा की है और चनपटिया विधानसभा सीट से उम्मीदवार होंगे। उन्होंने 18 अक्टूबर को अपना नामांकन दाखिल करने की योजना बनाई है ।
मनीष कश्यप की लोकप्रियता और युवा वर्ग में उनकी पकड़ को देखते हुए, उनकी उम्मीदवारी को एक महत्वपूर्ण राजनीतिक कदम माना जा रहा है।

4. स्वतंत्र उम्मीदवारों और छोटे दलों की भूमिका

सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP) ने भाजपा से गठबंधन तोड़ा है और बिहार विधानसभा चुनाव में अकेले चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है। पार्टी ने 20 स्टार प्रचारकों की सूची जारी की है और 5 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा की है ।
इसके अलावा, निर्दलीय उम्मीदवारों और छोटे दलों की भी चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां पारंपरिक दलों का प्रभाव कम है।

5. वोटर टर्नआउट और शहरी क्षेत्रों की चुनौती

पटना जैसे शहरी क्षेत्रों में मतदाता टर्नआउट कम रहने की समस्या सामने आई है। 2020 विधानसभा चुनाव में यहां की कुछ सीटों पर मतदान प्रतिशत 35-37% के बीच था ।
इस समस्या को दूर करने के लिए निर्वाचन आयोग और स्थानीय प्रशासन ने ‘मिशन 60’ जैसे अभियान शुरू किए हैं, ताकि शहरी क्षेत्रों में मतदान प्रतिशत बढ़ाया जा सके।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में टिकट वितरण की राजनीति ने राज्य की राजनीतिक परिपाटी को नया मोड़ दिया है। जहां एक ओर बड़े गठबंधन अपनी सीटों के बंटवारे को लेकर संघर्ष कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर छोटे दल और स्वतंत्र उम्मीदवार अपनी ताकत दिखाने की कोशिश में हैं। इस चुनाव में युवा नेताओं की बढ़ती भागीदारी और सोशल मीडिया का प्रभाव भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
अंततः, यह चुनाव न केवल राजनीतिक दलों के लिए, बल्कि बिहार के मतदाताओं के लिए भी एक महत्वपूर्ण अवसर है, जहां वे अपनी पसंद और नापसंद के आधार पर राज्य की दिशा तय करेंगे।

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